ऊँट की कहानी (Story of a Camle )

सुना करते थे अब तकरेगज़ारों में कहीं भी दूर तकपानी नहीं मिलतामगर इक बार जब हमरेत के जलते हुए ज़र्रों पे नंगे पाँव चल करलहू बरसाते सूरज से निगाहें चार करतेपाँव में छाले सजाएपानी के चंद एक क़तरे ढूँडतेक़दम आगे बढ़ाए जा रहे थेलहू की तेज़ बढ़ती गर्दिशेंमद्धम से मद्धम-तर ही होती जा रही थींज़िंदगी मादूम होती जा रही थींअचानक हैरतों में डूब कर हम ने ये देखाइक बड़ी जादू भरी सी झील हैजिस में कि ता-हद्द-ए-नज़रक़ौस-ओ-क़ुज़ह के रंग बिखरे हैंउभरती डूबती लहरेंबड़ा जादू जगाती रक़्स करतीनाचती लहरेंसमुंदर सब्ज़ लहरें नीलगूँ लहरेंसफ़ेद और चम्पई लहरेंऔर उन के भी सिवाबड़ी ही सियाह गहरी सुर्मगीं लहरेंझील की लहरों का जादूरूह को सरशार सा करता रहाज़ीस्त के ग़म का मुदावा बन गयाकिनारे बैठ करउस झील के पानी में हम ने देर तक झाँकाख़ुद अपने आप से मिलते रहेख़ुद अपने आप को पहचानने की कोशिश करते रहे

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