फ़िर आया दिसम्बर तो वो बात याद आयी है

(अल्लहड़ बनारसी और रमती बंजारन) जिसके (लेखक शरद दुबे) और (वक्ता RJ रविंद्र सिंह) है  !फ़िर आया दिसम्बर तो वो बात याद आयी हैसुनो ना एक बात याद आयी है!गुजरे शहर कि वो रात याद आयी है!!कल कि हुई मुलाकात याद आयी है!वो आखों मे हुई बरसात याद आयी है!!फ़िर आया दिसम्बर तो वो बात याद आयी हैबदली हुई वो बात याद आयी है!सुनो ना, सुनो ना एक बात याद आयी है!!साथ चली मुलाकात याद आयी है!फ़िर ना हुई जो बात याद आयी है !!फ़िर आया दिसम्बर तो वो बात याद आयी हैपहली हुई मुलाकात याद आयी है!वो हॉस खाश मैट्रो कि बात याद आयी है मैट्रो कि भीड मे मुलाकात याद आयी हैवो मैट्रो छोडकर साथ चलने कि बात याद आयी है फ़िर आया दिसम्बर तो वो बात याद आयी हैफ़िर कभी ना होने वाली बात याद आयी है शहर में खो जाने कि रात याद आयी है फ़िर आया दिसम्बर तो वो बात याद आयी हैसुनो ना सुनो ना एक बात याद आयी है

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