Episode 1 | रिश्तों का तानाबाना | एक सुनहरी शाम

एक सुनहरी शाम अपनी पलकों को मूँद कर ,जब देखा अपनी ज़िंदगी को पीछे मुड़कर ,तब लगा की जाने कितने लोग ज़िंदगी में गए और आये,पर सबसे मुश्किल था यह समझना ,कि कौन हैं अपने कौन पराये !!!

2356 232