चाचा मामा की परवरिश

रमाबाई ने अम्बेडकर की महत्वाकांक्षाओं का पूरा समर्थन किया और उन्होंने उन्हें विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी प्रोत्साहित किया। जब बाबा साहेब अपनी पढ़ाई के लिए विदेश में थे, तो उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्हें अपने लक्ष्यों को पूरा करने से कभी नहीं रोका। सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने इसकी भनक तक बाबा साहेब अम्बेडकर को नहीं लगने दीं।

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