NOSTALGIA featuring Dr. Vinay Bharat
आपके अती त का वो झरो खा जि समें आप झां कझां कर देख तो सकते हैं लेकि न उसमें जो दि खता है उसे हा सि ल नहीं कर सकते। कौ न है जि से कभी को ई नॉ स्टा ल्जि क फि लिं ग नहीं आई? बचपन का वो घर, वो गली , वो नुक्कड़, मां के हाथ का खा ना , को ई गाना , को ई बा त, अकेलपन की कोई रा त… ऐसे तमा म या दगा र लम्हे जि नसे हो कर आप गुजरे और अब उन लम्हों को आप दो बा रा कभी हा सि ल नहीं कर सकते। देखा जा ए तो अती त में दो बा रा ना लौ ट पा ना इंसाइं सान की सबसे बड़ी पी ड़ा है और नॉ स्टैल्जि या उस पी ड़ा को थो ड़ा सा और बढ़ा सकता है.है..और सा थ ही थो ड़ा उसपर मरहम भी लगा सकता है.है...है ना मजेदा र बा त...लेकि न उससे भी मजेदा र बा त ये है कि नॉ मस्टैजि या का मरहम इंसाइं सान खुद बना ता है और खुद लगाता है।है तो चलि ए आज खो लते हैं नॉ स्टैल्जि या की जन्मकुंडली .... नॉ स्टैल्जि या की ओरि जि नल मी निं ग है घर ना जा पा ने की पी ड़ा – हा लां किलां कि अब इसे हो म सि कनेस कहा जा ता है।है लेकि न तब जबकि इंसाइं सान की इस भा वना का कोई ना म नहीं था ....तब या नि 1729 में नॉ स्टा ल्जि या टर्म को सबसे पहले एक डॉ क्टर जो हानस होफर (Johannes Hofer) ने परि भा षि त कि या था … वो भी एक बी मा री के तौ र पर। डॉ क्टर होफर के मुता बि क ये एक तरह का मेनि या है जो उस वक्त भा ड़े के सैनि कों में हो म सि कनेस की वजह से पनप रहा था । कि सी दूसदू रे देश के लि ए लड़ रहे इन सैनि कों में घर जा ने की तड़प को उस वक्त दि मा गी बी मा री के तौ र पर देखा जा ता था । जि से ये बी मा री होती थी उसकी हा लत दि वा नों जैसी हो जा ती थी । खो या खो या सा रहना , ना खा ने की सुद, ना नीं द का ठि का ना । नती जा वो बहुत बी मा र हो सकता था और मर भी सकता था । जि स सैनि क में ये बी मा री दि खती बहुत उसे नी ची नजर से देखा जा ता था और उसका इला ज बेदर्दी के सा थ बड़े क्रूर तरी के से कि या जा ता था । इसी बी मा री को डॉ क्टर होफर ने नॉ स्टैल्जि या का ना म दि या था । ग्री क में नॉ स्तो स का मतलब होता है होम कमिं ग और लैटि न शब्द एल्जि या का मतलब है पी ड़ा । दो नों को मि ला कर बन गया नॉ स्टैल्जि या ... लेकि न समय के सा थ इसशब्द के मा यने बदल गए और अब हम नॉ स्टैजि या का मतलब समझते हैं प्या री प्या री या दें। अब चलि ए लगेहाथ आपके आगेइसकी एक बेहद खूबसूरत नी जर पेश करते हैं.हैं..हमा रे एक मि त्र हैं डॉ वि नय भरत, उन्हों ने अपने नॉ स्टैल्जि या को बड़ी शि द्दत और सदा कत के सा थ एक छंदमुक्त कवि ता का रूप दि या है.है..उसमें बड़े मनमो हक बिं ब गढ़े हैं.हैं...तो वो चंद पंक्ति यां आपको सुना ते हैं लेकि न उससे पहले आपको बता दें डॉ वि नय भरत डॉ श्या मा प्रसा द मुखर्जी यूनि वर्सि टी रां चीरां ची में अंग्रेअं ग्रेजी के प्रो फेसर हैं.हैं.. प्रो फेसर ये अंग्रेअं ग्रेजी के हैं लेकि न हिं दी सा हि त्य के क्षेत्र में वि शेष यो गदा न के लि ए ये दुबदु ई में सृजन श्री सम्मा न से नवा जे जा चुके हैं.हैं... इनका कवि ता और लघु कथा ओं का संग्रह कतरनें वि श्व हि न्दी सा हि त्य परि षद्,द् नयी दि ल्ली से छप चुका है.है... वैसे अंग्रेअं ग्रेजी में भी रि सर्च वर्क और यूनि वर्सि टी को र्स की कि ता बें लि ख चुके हैं.हैं.टी वी डि बेट्स और समा चा र पत्रों में इनके आर्टि कल छपते रहते हैं.हैं..खा सकर सा मा जि क और शैक्षणि क वि षयों की समझा इश के मकसद से.... ये था डॉ वि नय का परि चय और अब उनकी कवि ता को ई नहीं होगा ....