2: पहाड़|Gulzaar|Urdu Shayari|Famous Poetry|Life of a Poet

आज की गुफ्तुगू गुलज़ार साहब की तरफ से।  सुनिए उनकी रचना पहाड़ और उनके जीवन के बारे में @kavyaguftugu के साथ.पिछली बार भी आया थातो इसी पहाड़ नेनीचे खड़ा थामुझसे कहा थातुम लोगों के कद क्यूँ छोटे रह जाते  हैं ? आओ, हाथ पकड़ लो मेरापसलियों पर पांव रखो ऊपर आ जाओआओ ठीक से चेहरा तो देखूं?तुम कैसे लगते होजैसे meri चींटियों को तुम अलग अलग पहचान नहीं सकतेमुझको भी तुम एक ही जैसे लगते हो सबएक ही फर्क हैमेरी कोई चींटी जो बदन पर चढ़ जाएतो चुटकी से पकड़ के फेक उसको मार दिया करते हो तुममैं ऐसा नहीं करतामेरे समोवार देखो,कितने उचें उचें कद हैं इनकेतुमसे सात गुना तो होंगे?कुछ तो दस या बारह गुना हैंउम्रे देखो उसकी तुम,कितनी बढ़ी हैं, सदियों जिंदा रहते हैंकह देते हो कहने को तुमलेकिन अपने बड़ों की इज्ज़त करते नहीं तुमइसीलिए तुम लोगों के कदइतने छोटे रह जाते हैंइतना अकेला नहीं हूँ मैंतुम जितना समझते होतुम ही लोग ही भीड़ में रहकर भीतनहा तनहा लगते होभरे हुए जब काफिले बादलों के जाते हैंझप्पियाँ डाल के मिल कर जाते हैं मुझसेदरिया भी उतरते हैं तो पांव छू के विदा होते हैंमौसम मेहमान है आते हैं तो महीनों रह कर जाते हैंअज़ल अज़ल के रिश्ते निभाते हैंतुम लोगों की उम्रें देखता हूँदेखता हूँ  कितनी छोटी छोटी उम्रों में तुममिलते और बिछड़ते होख्व्याइशें और उम्मीदें भीबस छोटी छोटी उम्रों जितनीइसीलिए क्यातुम लोगों के कद इतने छोटे रह जाते हैं #hindikavita #urdushayari #kavita #shayariFollow the Kavya Guftugu on:Twitter: Kavya Guftugu (@KGuftugu) / Facebook: https://www.facebook.com/Gaurav-Sachdeva-Storyteller-182761851445Instagram: https://www.instagram.com/kavyaguftugu/email: kavyaguftugu@gmail.comSpotify - https://open.spotify.com/show/3CSR0aPkPswfSV0b7LKjE4Google Podcasts - https://www.google.com/podcasts?feed=aHR0cHM6Ly9hbmNob3IuZm0vcy81YWU4OWQ3NC9wb2RjYXN0L3Jzcw==Anchor - https://anchor.fm/kavya-guftuguBreaker - https://www.breaker.audio/kavya-guftugu-1Pocket Casts - https://pca.st/jembxj9bRadio Public - https://radiopublic.com/kavya-guftugu-G342zM

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