Chanchal मन

मन, क्या करें इस मन का कभी इधर जाता है कभी उधर क्यू भटकता है ये इतना जाने किसकी तलाश है इसे कभी एक दम से शांत होकर रूक जाता है फिर अगले ही पल कही दूर निकल जाता है कभी कहता है तुम्हारे पास सबकुछ है तुम्हे और कुछ नही पाना है कभी कहता है रुको मत चलते रहो अभी जिंदगी में बहुत कुछ पाना है क्या करें इस मन का क्यों है ये इतना चंचल ख्वाहिशे पाले बैठा है कई पर उन्हें पूरा करने का कोई रास्ता ही नही कभी कहता है सबकुछ छोड़ दुनिया से दूर निकल जाए और कभी कहता है कहा जायेगा छोड़कर तेरी तो दुनि

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